Breast Cancer Care – सर्जरी से आगे की सोच, समझदारी से इलाज

एक महिला सफेद स्पोर्ट्स ब्रा पहने हुए है, जिसमें उसकी छाती के बाईं ओर गुलाबी ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता रिबन लगी हुई है।

38 साल की मीरा दिल्ली में एक स्कूल टीचर है, जो बच्चों को पढ़ाने में अपनी खुशी ढूंढती थी। एक सुबह नहाते वक्त उसने अपनी छाती में एक छोटी-सी गांठ महसूस की, और उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने सोचा, शायद ज़्यादा सोच रही हूँ, अपने आप ठीक हो जाएगा, और इसे टालने की कोशिश की। लेकिन हर रात वो गांठ उसे याद आती, और नींद गायब हो जाती। ब्रेस्ट कैंसर का ख्याल उसके दिमाग में बार-बार आ रहा था, जैसे कोई सवाल जो जवाब माँगता हो। उसकी माँ ने उसकी चुप्पी को भाँप लिया और कहा, डॉक्टर को दिखा लो, बेटी। आखिरकार, मीरा ने हिम्मत जुटाकर अपॉइंटमेंट बुक कर लिया।

डॉक्टर ने कुछ टेस्ट्स किए, और नतीजे आए हाँ, ये ब्रेस्ट कैंसर था। मीरा के लिए ये खबर एक सदमे की तरह थी, उसे समझ नहीं आया कि अब क्या करना है। लेकिन डॉक्टर ने उसे हौसला देते हुए कहा, आपको सर्जरी की ज़रूरत नहीं है। मीरा हैरान थी उसने तो हमेशा सुना था कि सर्जरी ही एकमात्र रास्ता है। डॉक्टर ने बताया कि शुरुआती स्टेज में बिना ऑपरेशन के भी इलाज संभव है। मीरा ने सवाल किया, क्या ये सच में काम करेगा? डॉक्टर ने मुस्कुराकर कहा, हाँ, बस आपको सही इलाज और धैर्य की ज़रूरत है।


मीरा ने डॉक्टर से ढेर सारे सवाल पूछे रेडियोथेरेपी क्या है? टारगेटेड थेरेपी कैसे काम करती है? क्या इसके साइड इफेक्ट्स होंगे? डॉक्टर ने बताया कि रेडियोथेरेपी में ट्यूमर को टारगेट करके रेडिएशन दिया जाता है, और टारगेटेड थेरेपी में ऐसी दवाइयाँ दी जाती हैं जो सिर्फ कैंसर सेल्स को निशाना बनाती हैं। मीरा को ये सुनकर थोड़ा भरोसा हुआ, लेकिन वो पूरी तरह आश्वस्त होना चाहती थी। उसने अपने पति रवि के साथ मिलकर इंटरनेट पर रिसर्च शुरू की। GoMedii की वेबसाइट पर उसे बिना सर्जरी के इलाज की सफल कहानियाँ मिलीं। आखिरकार, उसने फैसला किया कि वो इस रास्ते पर चलेगी।


मीरा ने अपनी माँ और रवि को सब कुछ बताया, और दोनों ने उसका पूरा साथ दिया। रवि ने कहा, हम मिलकर इससे लड़ेंगे, तुझे अकेले कुछ नहीं करना। उसकी माँ ने उसका माथा चूमते हुए कहा, बेटी, तू मज़बूत है, सब ठीक हो जाएगा। रवि ने रात-रात भर इंटरनेट पर बिना सर्जरी के इलाज के बारे में पढ़ा और मीरा को समझाया। परिवार का सपोर्ट देखकर मीरा को एक नई हिम्मत मिली। उसने सोचा, अगर मेरे अपनों का इतना प्यार है, तो मैं हार कैसे सकती हूँ? उसने इलाज शुरू करने का मन बना लिया।


मीरा का इलाज शुरू हुआ पहले कीमोथेरेपी दी गई, जो ट्यूमर को छोटा करने के लिए थी। हर सेशन के बाद उसे थकान होती, और शरीर में अजीब-सी कमज़ोरी महसूस होती थी। डॉक्टर ने उसे रेडियोथेरेपी के लिए तैयार किया, जिसमें हर सेशन 15-20 मिनट का होता था। रेडियोथेरेपी के दौरान उसे एक मशीन में लेटना पड़ता था, और रेडिएशन की किरणें ट्यूमर पर फोकस करती थीं। मीरा ने देखा कि अस्पताल में कई मरीज इस प्रक्रिया से गुज़र रहे थे। उसने एक मरीज़ से बात की, जिसने कहा, पहले डर लगता है, लेकिन धीरे-धीरे आदत हो जाती है।


कुछ हफ्तों बाद मीरा ने महसूस किया कि गांठ का साइज़ कम हो रहा है, और उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। टेस्ट्स में पता चला कि ट्यूमर 30% तक सिकुड़ गया था। उसने रवि को बताया, “लगता है ये इलाज काम कर रहा है, मुझे भरोसा हो रहा है। डॉक्टर ने भी उसकी मेहनत की तारीफ की और कहा, आप सही रास्ते पर हैं। मीरा ने अपने डाइट में बदलाव किए ज़्यादा फल, हरी सब्ज़ियाँ, और पानी पीना शुरू किया। उसने सोचा, अगर मैंने अब तक इतना कर लिया, तो आगे भी कर सकती हूँ।


लेकिन इलाज आसान नहीं था कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स ने मीरा को परेशान करना शुरू कर दिया। उसके बाल झड़ने लगे, और उसे हल्का बुखार रहने लगा। कई बार वो इतनी कमज़ोर हो जाती थी कि स्कूल की छुट्टी लेनी पड़ती थी। उसने डॉक्टर से पूछा, क्या ये नॉर्मल है? डॉक्टर ने बताया कि ये साइड इफेक्ट्स अस्थायी हैं और जल्दी ठीक हो जाएँगे। रवि हर बार उसे हौसला देता, और उसकी पसंदीदा गाजर का हलवा बनाकर लाता। मीरा ने खुद से कहा, ये मुश्किलें बस कुछ दिनों की हैं, मैं हार नहीं मानूँगी।


अस्पताल में मीरा की मुलाकात अनीता से हुई, जो उसी तरह का इलाज करवा रही थी। अनीता ने मीरा को बताया कि उसने भी सर्जरी से डरकर ये रास्ता चुना था, और अब वो बेहतर महसूस कर रही है। दोनों की बातें एक-दूसरे को हौसला देती थीं कभी इलाज की बातें, तो कभी घर की छोटी-छोटी बातें। अनीता ने कहा, हमें अपने शरीर पर भरोसा करना होगा, वो हमसे ज़्यादा मज़बूत है। मीरा को उसकी बातें सुनकर सुकून मिला। दोनों ने वादा किया कि वो एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगी।


कई महीनों के इलाज के बाद मीरा के टेस्ट्स में अच्छे नतीजे आए ट्यूमर पूरी तरह सिकुड़ गया था, और कैंसर सेल्स भी खत्म हो गए थे। डॉक्टर ने कहा, आपने बहुत अच्छा रिस्पॉन्स दिया है, अब बस रेगुलर चेकअप की ज़रूरत है। मीरा की आँखें भर आईं, उसने रवि को गले लगाकर कहा, हमने कर दिखाया। उसने महसूस किया कि बिना सर्जरी के भी कैंसर को हराना मुमकिन है। उसका आत्मविश्वास पहले से कहीं ज़्यादा था। उसने सोचा, ये मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी जीत है।


इलाज के बाद मीरा ने अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरू किया। उसने स्कूल में पढ़ाना फिर से शुरू किया, और बच्चों की हँसी उसे पहले से ज़्यादा सुकून देती थी। उसने अपनी डाइट को हेल्दी रखा दिन की शुरुआत नींबू पानी से और रात का खाना हल्का। रोज़ सुबह वो पार्क में टहलने जाती और गहरी साँसें लेकर खुद को तरोताज़ा करती। रवि और माँ उसकी मेहनत से खुश थे। मीरा ने फैसला किया कि वो अपनी कहानी दूसरों तक पहुँचाएगी।


मीरा ने एक छोटा-सा सपोर्ट ग्रुप शुरू किया, जिसमें वो ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही महिलाओं से मिलती थी। उसने उन्हें बताया कि कैसे उसने बिना सर्जरी के इलाज चुना और कैंसर को हराया। उसकी कहानी सुनकर कई महिलाओं ने हिम्मत जुटाई और अपने डर को पीछे छोड़ा। मीरा उन्हें बताती, सही इलाज और हिम्मत से सब कुछ मुमकिन है। उसका ग्रुप धीरे-धीरे बढ़ने लगा, और लोग उसे एक प्रेरणा की तरह देखने लगे। उसने सोचा, मेरी जंग ने न सिर्फ मुझे बचाया, बल्कि दूसरों को भी हौसला दिया।


आज मीरा एक ऐसी जिंदगी जी रही है जिसमें डर की कोई जगह नहीं है। उसने बिना सर्जरी के ब्रेस्ट कैंसर को हराकर एक मिसाल कायम की है। मेडिकल साइंस और समझदारी भरे फैसलों ने उसे एक नई ज़िंदगी दी, जिसमें वो हर दिन को एक तोहफे की तरह जीती है। उसकी हँसी अब पहले से ज़्यादा खुली है, और वो दूसरों को भी हँसना सिखाती है। उसकी कहानी उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो इस जंग को लड़ रहे हैं। मीरा कहती है, हिम्मत करो, क्योंकि उम्मीद हमेशा एक नई उड़ान देती है।


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