भारतीय समाज में शादी से पहले लड़कियों से अक्सर उनकी वर्जिनिटी को लेकर सवाल किए जाते हैं। यह सोच आज भी गहरे तक जड़ें जमाए हुए है कि एक लड़की को पवित्र होना चाहिए। लेकिन क्या यह सोच आज के आधुनिक समय में सही है? लड़कियों पर यह दबाव बनाया जाता है कि उन्होंने पहले किसी के साथ रिश्ता नहीं बनाया हो। दूसरी ओर, लड़कों से ऐसा कोई सवाल नहीं पूछा जाता। यह लैंगिक भेदभाव हमारी सोच में कितना गलत है, इस पर हमें विचार करना होगा।
हमारे समाज में यह मानसिकता सदियों से चली आ रही है कि लड़कियों का चरित्र उनकी वर्जिनिटी से तय होता है। अगर एक लड़की ने पहले रिश्ता बनाया हो, तो उसे चरित्रहीन समझा जाता है। लेकिन लड़कों के लिए कोई ऐसी बात नहीं है वे कितने भी रिश्तों में रहें, कोई सवाल नहीं उठता। यह दोहरा मापदंड भारतीय समाज में गहरे तक बैठा हुआ है। क्या यह सही है कि एक लड़की को हमेशा अपनी “पवित्रता” साबित करनी पड़े? हमें इस सोच को बदलने की जरूरत है।
आज 21वीं सदी में हम भले ही जी रहे हों, लेकिन वर्जिनिटी को लेकर पुरानी सोच अब भी बरकरार है। हालांकि, युवा पीढ़ी अब इस सोच को धीरे-धीरे बदल रही है। खासकर शहरों में लोग अब इस बात को समझने लगे हैं कि वर्जिनिटी किसी के चरित्र का पैमाना नहीं हो सकती। रिश्तों में प्यार, विश्वास और समझ ज्यादा मायने रखते हैं। लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी यह सोच बहुत गहरी है। हमें शिक्षा और जागरूकता के जरिए इस मानसिकता को बदलना होगा।
शादी के समय अक्सर लड़की के परिवार से उसकी वर्जिनिटी को लेकर सवाल पूछे जाते हैं। यह दबाव लड़की पर इतना ज्यादा होता है कि वह अपनी जिंदगी खुलकर जी ही नहीं पाती। उसे हमेशा यह डर रहता है कि समाज उसे जज करेगा। लेकिन क्या किसी की निजी जिंदगी में इतना दखल देना सही है? लड़कियों को भी अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीने का हक है। यह दबाव सिर्फ लैंगिक भेदभाव को ही बढ़ावा देता है।
जब शादी की बात आती है, तो लड़कों से उनकी वर्जिनिटी को लेकर कोई सवाल नहीं किया जाता। एक लड़का चाहे कितने रिश्तों में रहा हो, उसे कोई जज नहीं करता। लेकिन उसी लड़के को अपनी होने वाली पत्नी से पवित्रता की उम्मीद होती है। यह दोहरा मापदंड कहाँ से आता है? क्या लड़के और लड़कियाँ एक जैसा हक नहीं मिलना चाहिए? हमें इस सोच को बदलने की जरूरत है, ताकि दोनों को बराबरी का दर्जा मिले।
यह समझना जरूरी है कि वर्जिनिटी किसी इंसान के चरित्र को परिभाषित नहीं करती। एक लड़की का पहले रिश्ता रहा हो, इसका मतलब यह नहीं कि उसका चरित्र खराब है। प्यार और रिश्ते जिंदगी का हिस्सा हैं, और यह लड़के-लड़कियों दोनों के लिए सामान्य है। समाज को यह समझना होगा कि किसी की निजी जिंदगी को जज करना गलत है। चरित्र को उसकी अच्छाई, ईमानदारी और व्यवहार से मापना चाहिए। वर्जिनिटी को चरित्र का आधार बनाना गलत है।
शादी दो लोगों के बीच प्यार, विश्वास और समझ का रिश्ता है। वर्जिनिटी को लेकर सवाल करना इस विश्वास को कमजोर करता है। अगर एक लड़का अपनी होने वाली पत्नी पर भरोसा नहीं करता, तो रिश्ता कैसे मजबूत होगा? शादी में सबसे ज्यादा जरूरी है कि दोनों एक-दूसरे को समझें और सम्मान करें। वर्जिनिटी को लेकर सवाल पूछने से रिश्ते में दरार पड़ सकती है। हमें रिश्तों को मजबूत बनाने पर ध्यान देना चाहिए, न कि बेकार की बातों पर।
लड़कियों को भी अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जीने का पूरा हक है। उन्हें यह डर नहीं होना चाहिए कि समाज उनकी निजी जिंदगी को जज करेगा। अगर एक लड़की ने पहले रिश्ता बनाया है, तो यह उसकी अपनी पसंद है। समाज को यह हक नहीं है कि वह उसकी जिंदगी में दखल दे। लड़कियों को भी लड़कों की तरह आजादी मिलनी चाहिए। हमें इस सोच को बदलने की जरूरत है, ताकि लड़कियाँ बिना डर के अपनी जिंदगी जी सकें।
वर्जिनिटी को लेकर दबाव अक्सर परिवार की तरफ से भी बनाया जाता है। शादी के समय लड़की के परिवार को डर रहता है कि कहीं सवाल न उठ जाए। लेकिन परिवार को अपनी बेटी का साथ देना चाहिए, न कि उस पर दबाव बनाना चाहिए। माता-पिता को अपनी बेटी की खुशी और आत्मविश्वास को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्हें समाज की पुरानी सोच को बदलने में मदद करनी चाहिए। बेटी को सपोर्ट करके वे समाज में एक नई मिसाल कायम कर सकते हैं।
इस पुरानी सोच को बदलने के लिए शिक्षा और जागरूकता बहुत जरूरी है। स्कूल-कॉलेज में बच्चों को लैंगिक समानता के बारे में सिखाना चाहिए। उन्हें यह समझाना होगा कि लड़के और लड़कियाँ बराबर हैं। जागरूकता अभियानों के जरिए समाज को यह संदेश देना होगा कि वर्जिनिटी चरित्र का पैमाना नहीं है। जब लोग शिक्षित होंगे, तभी वे इस सोच को बदल पाएंगे। यह बदलाव धीरे-धीरे ही सही, लेकिन जरूरी है।
रिश्तों में प्यार, सम्मान और विश्वास सबसे ज्यादा मायने रखते हैं। वर्जिनिटी को लेकर सवाल करना रिश्ते में शक पैदा करता है। अगर दो लोग एक-दूसरे से प्यार करते हैं, तो उन्हें एक-दूसरे का अतीत स्वीकार करना चाहिए। किसी की निजी जिंदगी को जज करने की बजाय हमें उनके वर्तमान को देखना चाहिए। प्यार में सम्मान और समझ ही रिश्ते को मजबूत बनाती है। हमें इन मूल्यों को अपनाने की जरूरत है।
अब समय आ गया है कि हम वर्जिनिटी को लेकर अपनी सोच को बदलें। हमें यह समझना होगा कि यह किसी की निजी जिंदगी का हिस्सा है, और इसमें दखल देना गलत है। लड़के और लड़कियाँ दोनों को बराबरी का हक मिलना चाहिए। समाज को पुरानी मान्यताओं से आगे बढ़कर आधुनिक सोच अपनानी होगी। तभी हम एक बेहतर और समान समाज बना पाएंगे। यह बदलाव हमारी सोच से ही शुरू होगा।
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