Health Tips – गाउट जोड़ों में दर्द का साइलेंट किलर, जानें कारण, लक्षण और बचाव

गाउट से प्रभावित पैर की तस्वीर और हड्डियों का चित्रण, जिसमें जोड़ों में सूजन और दर्द दिखाया गया है। यह जोड़ों में यूरिक एसिड के जमा होने से होने वाली बीमारी के लक्षणों को दर्शाता है।


रमेश एक सामान्य व्यक्ति थे, जो अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में व्यस्त रहते थे। लेकिन पिछले कुछ महीनों से उन्हें रात को सोते समय अचानक पैर के अंगूठे में तेज दर्द होने लगा। शुरू में उन्होंने इसे थकान समझकर नजरअंदाज किया और दर्द निवारक गोलियां ले लीं। लेकिन जब यह दर्द बार-बार होने लगा और असहनीय हो गया, तो उन्होंने डॉक्टर से संपर्क किया। जांच के बाद पता चला कि यह गाउट की समस्या है। गाउट एक ऐसी बीमारी है, जो जोड़ों में यूरिक एसिड के जमा होने से होती है और असहनीय दर्द का कारण बनती है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

गाउट क्या है और कैसे शुरू होता है: गाउट एक प्रकार का गठिया रोग है, जो शरीर में यूरिक एसिड के बढ़ने से होता है। यूरिक एसिड एक प्राकृतिक अपशिष्ट पदार्थ है, जो प्यूरीन के टूटने से बनता है। जब यह यूरिक एसिड शरीर से बाहर नहीं निकल पाता, तो यह जोड़ों में क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगता है। ये क्रिस्टल जोड़ों में सूजन और तेज दर्द का कारण बनते हैं। यह दर्द अक्सर पैर के अंगूठे से शुरू होता है, लेकिन धीरे-धीरे यह टखनों, घुटनों और अन्य जोड़ों तक फैल सकता है। गाउट का दर्द इतना तेज होता है कि व्यक्ति रात को नींद से जाग सकता है।

गाउट के लक्षण इसे कैसे पहचानें : गाउट का सबसे प्रमुख लक्षण है अचानक और तेज दर्द, जो आमतौर पर रात के समय शुरू होता है। यह दर्द ज्यादातर पैर के अंगूठे में होता है, लेकिन बाद में यह अन्य जोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है। प्रभावित हिस्से में सूजन, लालिमा, जलन और गर्मी का अहसास होता है। कुछ लोगों को जोड़ों में गांठ जैसी संरचना भी बनने लगती है। यह दर्द कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है। अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो यह पुरानी समस्या बन सकती है और रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर सकती है।

गाउट के कारण यह क्यों होता है : गाउट का मुख्य कारण है शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना। प्यूरीन युक्त भोजन जैसे रेड मीट, समुद्री भोजन, शराब और मीठे पेय पदार्थों का अधिक सेवन यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाता है। इसके अलावा, डिहाइड्रेशन, मोटापा, गुर्दे की समस्याएं और कुछ दवाइयां भी गाउट का कारण बन सकती हैं। जब गुर्दे यूरिक एसिड को ठीक से बाहर नहीं निकाल पाते, तो यह जोड़ों में जमा होने लगता है। इसके अलावा, पारिवारिक इतिहास भी गाउट के जोखिम को बढ़ा सकता है। अगर आपके परिवार में किसी को यह समस्या रही है, तो आपको सतर्क रहना चाहिए।

रात में दर्द क्यों बढ़ता है : क्या आपने सोचा है कि गाउट का दर्द रात में ही क्यों ज्यादा होता है? इसका कारण है शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया। रात को सोते समय शरीर का तापमान कम हो जाता है, जिससे यूरिक एसिड के क्रिस्टल जोड़ों में आसानी से जमा हो जाते हैं। साथ ही, सांसों की गति धीमी होने से फेफड़े कार्बन डाइऑक्साइड को पूरी तरह बाहर नहीं निकाल पाते, जिसके कारण खून में अम्लता बढ़ती है। यह स्थिति यूरिक एसिड के जमाव को बढ़ावा देती है और रात में तेज दर्द का अनुभव होता है। इसलिए गाउट के मरीजों को रात में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए।

गाउट के जोखिम कारक कौन है खतरे में : गाउट का खतरा उन लोगों में ज्यादा होता है, जो प्यूरीन युक्त भोजन का अधिक सेवन करते हैं, जैसे मांसाहारी भोजन, शराब और फ्रक्टोज युक्त पेय। मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और गुर्दे की समस्याएं भी गाउट के जोखिम को बढ़ाती हैं। पुरुषों में गाउट का खतरा महिलाओं की तुलना में ज्यादा होता है, खासकर 30 से 50 साल की उम्र के बीच। इसके अलावा, जो लोग डिहाइड्रेटेड रहते हैं या जिनका पारिवारिक इतिहास गाउट से जुड़ा है, उन्हें भी यह समस्या हो सकती है। जीवनशैली में बदलाव करके इस जोखिम को कम किया जा सकता है।

गाउट का निदान: गाउट का निदान करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपके लक्षणों और मेडिकल इतिहास की जांच करते हैं। इसके बाद वे खून की जांच कर सकते हैं, जिसमें यूरिक एसिड का स्तर मापा जाता है। हालांकि, सिर्फ यूरिक एसिड का स्तर ज्यादा होने से गाउट की पुष्टि नहीं होती। डॉक्टर जोड़ों से तरल पदार्थ निकालकर उसमें यूरिक एसिड के क्रिस्टल की मौजूदगी की जांच कर सकते हैं। इसके अलावा, एक्स-रे या अल्ट्रासाउंड भी गाउट के प्रभाव को देखने के लिए किया जा सकता है। सही निदान के बाद ही उचित इलाज शुरू किया जाता है।

गाउट का इलाज दर्द से कैसे राहत पाएं : गाउट का इलाज दो तरह से किया जाता है तुरंत दर्द से राहत और लंबे समय तक यूरिक एसिड को नियंत्रित करना। तीव्र दर्द के लिए डॉक्टर नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स जैसे कि इबुप्रोफेन या कोलचिसिन जैसी दवाइयां दे सकते हैं। लंबे समय के लिए यूरिक एसिड को कम करने वाली दवाइयां जैसे एलोप्यूरिनॉल दी जाती हैं। इसके अलावा, मरीजों को खानपान में बदलाव करने, पानी अधिक पीने और वजन नियंत्रित करने की सलाह दी जाती है। गाउट के इलाज में समय और धैर्य की जरूरत होती है।

जीवनशैली में बदलाव गाउट से बचाव : गाउट से बचने के लिए अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करना जरूरी है। सबसे पहले, प्यूरीन युक्त भोजन जैसे रेड मीट, शराब और मीठे पेय को कम करें। रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ताकि शरीर डिहाइड्रेट न हो। वजन को नियंत्रित रखें, क्योंकि मोटापा गाउट का एक बड़ा जोखिम कारक है। इसके अलावा, नियमित व्यायाम करें और तनाव को कम करें। फल, सब्जियां और साबुत अनाज जैसे खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें। ये छोटे बदलाव गाउट को रोकने में मदद कर सकते हैं।

घरेलू उपाय प्राकृतिक तरीके से राहत : कई लोग गाउट के दर्द को कम करने के लिए घरेलू उपायों का सहारा लेते हैं। चेरी का जूस पीना गाउट के लिए फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि यह यूरिक एसिड के स्तर को कम करता है। अदरक और हल्दी की चाय भी सूजन को कम करने में मदद कर सकती है। प्रभावित हिस्से पर ठंडी सिकाई करने से दर्द और सूजन में राहत मिलती है। हालांकि, घरेलू उपायों को अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है, ताकि कोई नुकसान न हो। ये उपाय इलाज का पूरक हो सकते हैं, लेकिन इन्हें मुख्य इलाज की जगह न लें।

रमेश ने गाउट का निदान होने के बाद अपनी जीवनशैली में बड़े बदलाव किए। उन्होंने शराब और मांसाहारी भोजन को पूरी तरह छोड़ दिया और रोजाना 3-4 लीटर पानी पीना शुरू किया। नियमित व्यायाम और संतुलित आहार की मदद से उन्होंने अपना वजन भी कम किया। डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयां लेने से उनके जोड़ों का दर्द धीरे-धीरे कम हो गया। आज रमेश एक स्वस्थ जीवन जी रहे हैं और दूसरों को भी गाउट से बचने के लिए जागरूक करते हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि सही जानकारी और अनुशासन से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।


सतर्कता है जरूरी : गाउट एक ऐसी बीमारी है, जो शुरू में मामूली लगती है, लेकिन समय के साथ गंभीर हो सकती है। अगर आपको रात में अचानक जोड़ों में तेज दर्द, सूजन या लालिमा का अनुभव हो रहा है, तो इसे न ONLINE कर दें। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं। सही खानपान, पर्याप्त पानी और नियमित जांच से गाउट को नियंत्रित किया जा सकता है। यह बीमारी आपके जीवन को प्रभावित न करे, इसके लिए सतर्कता और जागरूकता सबसे बड़ा हथियार है। स्वस्थ रहें, सावधान रहें!


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