Online Gaming Addiction: युवाओं और बच्चों के भविष्य पर खतरा

एक व्यक्ति जुए की टेबल पर पासे फेंक रहा है। यह तस्वीर ऑनलाइन सट्टेबाज़ी और गेमिंग लत के खतरों को दर्शाती है।

आजकल ऑनलाइन गेमिंग का चलन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही जुए का कारोबार भी बढ़ता जा रहा है। मोबाइल एप के जरिए चलने वाले ये गेम अब हर घर तक पहुंच चुके हैं। ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर सट्टेबाजी का यह धंधा युवाओं और बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है। कई लोग इसे मनोरंजन समझते हैं, लेकिन यह एक ऐसी लत बन चुकी है जो समय, पैसा और भविष्य तीनों को बर्बाद कर रही है। खासकर युवा वर्ग इसकी गिरफ्त में ज्यादा फंस रहा है। इस लत से बचने के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है।

ऑनलाइन गेमिंग के जरिए जुआ चलाने वाले कारोबारी चालाकी से काम करते हैं। वे आकर्षक ऑफर जैसे गिफ्ट, नकद पुरस्कार और बोनस का लालच देकर लोगों को फंसाते हैं। तीन पत्ती, लूडो और क्रिकेट जैसे गेम सोशल मीडिया पर खूब प्रचलित हैं। इन खेलों में लोग फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर दोस्त बनाकर एक-दूसरे के खिलाफ गेम खेलते हैं। हारने के बाद भी लत की वजह से वे बार-बार खेलने को मजबूर हो जाते हैं। इस तरह वे हजारों रुपये गंवा देते हैं। यह एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुकी है।


इस धंधे का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि यह पूरी तरह अनियंत्रित है। पुलिस और प्रशासन के पास इसे रोकने का कोई ठोस तरीका नहीं है। ऑनलाइन होने की वजह से इस कारोबार को ट्रैक करना बेहद मुश्किल है। कौशाम्बी जैसे छोटे जिलों में भी यह जुआ युवाओं को बर्बाद कर रहा है। कई युवा सोचते हैं कि वे ऑनलाइन जुए से रातोंरात अमीर बन जाएंगे। लेकिन हकीकत में वे अपना सब कुछ हारकर कंगाल हो जाते हैं। इस जाल से बचने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।


ऑनलाइन गेमिंग की लत का शिकार सबसे ज्यादा स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चे हो रहे हैं। इन खेलों की वजह से उनकी पढ़ाई पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। बच्चे घंटों मोबाइल स्क्रीन पर चिपके रहते हैं, जिससे उनकी एकाग्रता भंग हो जाती है। नतीजा यह है कि वे अपने अकादमिक प्रदर्शन में पिछड़ने लगते हैं। इसके अलावा, उनकी रचनात्मकता और सामाजिक कौशल भी प्रभावित हो रहे हैं। अभिभावकों को बच्चों के स्क्रीन टाइम पर सख्ती से नियंत्रण रखना चाहिए। बच्चों को किताबें पढ़ने और बाहर खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए।


इसके अलावा, ऑनलाइन जुए की लत का असर बच्चों के व्यवहार पर भी पड़ रहा है। वे चिड़चिड़े, जिद्दी और गुस्सैल हो रहे हैं। हारने की वजह से उनमें तनाव और निराशा बढ़ने लगती है। यह न केवल उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि उनके पारिवारिक रिश्तों पर भी असर डालता है। कई बार बच्चे अपने माता-पिता से झूठ बोलने लगते हैं। अभिभावकों को बच्चों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए और उनकी गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए।


जो युवा अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए, वे इस लत में फंसकर अपने सपनों से भटक रहे हैं। कई बार वे सारा दिन गेम खेलने में बिता देते हैं और अपने काम-धंधे को पूरी तरह छोड़ देते हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती है और आत्मविश्वास टूटने लगता है। युवाओं को समझना होगा कि मे fहनत और लगन से ही सफलता हासिल की जा सकती है। ऑनलाइन जुआ उनके भविष्य को तबाह करने का सबसे बड़ा कारण बन सकता है।


ऑनलाइन जुए का एक और खतरनाक पहलू साइबर फ्रॉड है। कई बार लोग नकली एप डाउनलोड कर लेते हैं, जिसके जरिए उनके बैंक खाते तक हैक कर लिए जाते हैं। इन एप्स में प  पैसे जमा करने के लिए लोग अपनी निजी जानकारी साझा करते हैं। बाद में यह जानकारी साइबर अपराधियों के हाथ लग जाती है और वे लोगों को ठग लेते हैं। कई बार तो लोग लाखों रुपये का नुकसान उठा लेते हैं। इसलिए ऐसे एप्स से दूरी बनाना बेहद जरूरी है।


इंटरनेट का इस्तेमाल जहां कई मायनों में फायदेमंद है, वहीं इसके नुकसान भी कम नहीं हैं। आजकल बच्चे और युवा मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर पर इतना समय बिताने लगे हैं कि वे खेलकूद से दूर हो रहे हैं। पहले जहां बच्चे मैदान में क्रिकेट, फुटबॉल जैसे खेल खेलते थे, अब वे स्क्रीन पर गेम खेलने में व्यस्त रहते हैं। इससे उनकी शारीरिक सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रेरित करें।


लंबे समय तक स्क्रीन पर गेम खेलने से आंखों पर भी बुरा असर पड़ता है। डॉक्टरों का कहना है कि लगातार मोबाइल स्क्रीन देखने से आंखों का पानी सूख सकता है। इससे आंखों की रोशनी कम होने का खतरा बढ़ जाता है। छोटी उम्र में ही बच्चों को चश्मा लगाने की नौबत आ सकती है। इसके अलावा, सिरदर्द और आंखों में जलन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। अभिभावकों को बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहिए और उनकी सेहत का ध्यान रखना चाहिए।


ऑनलाइन गेमिंग का धंधा अब एक बड़े कारोबार का रूप ले चुका है। ये कंपनियां प्वाइंट सिस्टम के जरिए लोगों को लालच देती हैं। एक प्वाइंट के लिए एक रुपये की कीमत चुकानी पड़ती है, जो एप में जमा हो जाता है। हारने के बाद लोग बार-बार प्वाइंट खरीदने को मजबूर हो जाते हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाती है। इस लत को खत्म करने के लिए सख्त कानून और जागरूकता दोनों की जरूरत है।


ऑनलाइन जुए की लत से बचने के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है। अभिभावकों को अपने बच्चों पर खास नजर रखनी चाहिए। उन्हें गेम की जगह रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त करना चाहिए। साथ ही, सरकार को भी ऐसे एप्स पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। ऑनलाइन जुए को बढ़ावा देने वाली कंपनियों पर नकेल कसने की जरूरत है। तभी हम अपने बच्चों और युवाओं के भविष्य को बचा सकते हैं।


इसके साथ ही, स्कूल और कॉलेजों में भी जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग के खतरों के बारे में बताया जाना चाहिए। शिक्षक और अभिभावक मिलकर बच्चों को सही दिशा में ले जा सकते हैं। उन्हें खेलकूद, किताबें पढ़ने और सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। तभी हम इस लत को जड़ से खत्म कर सकते हैं।


ऑनलाइन गेमिंग की लत एक सामाजिक बुराई बन चुकी है। यह न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि पूरे समाज पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। युवा और बच्चे देश का भविष्य हैं, और उनकी बर्बादी देश के लिए नुकसानदायक है। हमें मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा। जागरूकता, सख्त कानून और सही मार्गदर्शन से ही हम इस खतरे से निपट सकते हैं।


इसके लिए हमें अपने आसपास के लोगों को भी जागरूक करना होगा। ऑनलाइन जुए के खतरों के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए। माता-पिता, शिक्षक और समाज के हर व्यक्ति को इस दिशा में कदम उठाना होगा। तभी हम अपने बच्चों को इस लत से बचा सकते हैं। एक स्वस्थ और जागरूक समाज ही इस समस्या से लड़ सकता है। आइए, मिलकर इस बुराई को खत्म करने का संकल्प लें। अपने विचार कमेंट में साझा करें और इस लेख को शेयर करके दूसरों को जागरूक करें।


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